अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ,
आ तुझे मैं गुन-गुनाना चाहता हूँ
कोई आंसू तेरे दामन पर गिराकर,
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ
थक गया मैं करते करते याद तुझको,
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
छा रहा हैं सारी बस्ती में अँधेरा,
रौशनी को घर जलाना चाहता हूँ
आख़री हिचकी तेरे ज़ानो पे आये,
मौत भी शायराना चाहता हूँ
Singer: Jagjit Singh
Lyrics: Qatil Shifai